Explanation:
बिहार में, गंगा नदी पटना जिले में सबसे लंबी प्रवाहित होती है। पटना जिले में गंगा नदी की कुल लंबाई 99 किलोमीटर है।
प्रवाह तंत्र और उद्गम के आधार पर बिहार की नदियों को दो वर्ग में बांटा गया है –
(1) हिमालय प्रदेश की नदियाँ
(2) पठारी या प्रायद्वीपीय प्रदेश की नदियाँ
उपयुर्क्त दोनों वर्ग की नदियाँ मुख्य नदी गंगा में मिल जाती है.
बिहार की प्रमुख नदियाँ-:
भौगोलिक दृष्टिकोण से राज्य को सात नदी क्षेत्र में विभक्त किया गया है-
घाघरा-गंडक
गंडक-बागमती
बागमती-कोसी
कोसी-महानंदा
कर्मनासा-सोन
सोन-पुनपुन
पुनपुन-सकरी
गंगा नदी-:
गंगा नदी बिहार के मध्य भाग में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है.
भारत की सबसे लम्बी नदी गंगा की कुल लम्बाई 2500 किलोमीटर है, जो बिहार में 445 किलोमीटर प्रवाहित होती है.
इस नदी का बिहार में प्रवाह क्षेत्र 15165 वर्ग किलोमीटर है.
इसका उद्गम स्थल उत्तराखण्ड की केदारनाथ चोटी के उत्तर में स्थित गंगोत्री हिमनद का गोमुख है.
यह नदी उत्तर प्रदेश से बिहार के बक्सर जिला में चौसा के पास प्रवेश करती है.
इस क्षेत्र में गंगा, गंडक, सरयू (घाघरा) और कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा रेखा का निर्धारण करती है.
इसमें उत्तर दिशा से (बायीं तट पर) घाघरा, गंडक, बागमती, बलान, बूढ़ी गण्डक, कोसी, महानन्दा और कमला नदी आकर मिलती है, जबकि दक्षिण दिशा से (दायी तट पर) सोन, कर्मनाशा, पुनपुन, किऊल आदि नदी आकर मिलती है.
प्रमुख नदियों में सर्वप्रथम बिहार क्षेत्र में गंगा में सोन नदी दानापुर से 10 किलोमीटर पश्चिम में मनेर के पास आकर मिलती है.
गंगा नदी बिहार एवं झारखण्ड के साहेबगंज जिले के साथ सीमा रेखा बनाते हुए बंगाल में प्रवेश करती है. गंगा अपनी यात्रा क्रम में बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार आदि जिलों में प्रवाहित होती है.
घाघरा (सरयू नदी)
यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा का निर्धारण करती है. यह नदी सारण जिला में छपरा के समीप गंगा में मिल जाती है.
गंडक-:
गंडक नदी सात धाराओं के मिलकर बनी है.
सप्तगंडकी, कालीगंडक, नारायणी, शालिग्रामी, सदानीरा आदि कई नामों से जानी जाने वाली गंडक नदी की उत्पत्ति नेपाल के अन्नपूर्णा श्रेणी के मानंगमोट और कुतांग (नेपाल एवं तिब्बत की सीमा) के मध्य से हुई है.
इसकी बिहार में कुल लम्बाई 630 किलोमीटर है. यह नदी भैसालोटन (पश्चिमी चम्पारण) के पास बिहार में प्रवेश करती है. यह नदी सारण और मुजफ्फरपुर की सीमा निर्धारित करते हुए सोनपुर और हाजीपुर के मध्य से गुजरती हुई पटना के सामने गंगा में मिल जाती है.
इसी संगम पर विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र का मेला (सोनपुर पशु मेला) प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है.
बूढ़ी गंडक-:
यह नदी गंडक के समानान्तर उसके पूर्वी भाग में प्रवाहित होती है.
बूढ़ी गंडक नदी उत्तरी बिहार के मैदान को दो भागों में बाँटती है.
हिमालय से निकलकर उत्तर बिहार में प्रवाहित होने वाली उत्तर बिहार की सबसे लम्बी नदी है.
यह उत्तर बिहार की सबसे तेज जलधारा वाली नदी है, जिसका बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर है.
यह गंडक नदी की परित्यक्त धारा है, जो मुख्य नदी के पश्चिम में खिसक जाने से प्रवाहित हुई है.
बूढ़ी गंडक के तट पर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया आदि नगर स्थित हैं.
बागमती-:
बूढ़ी गंडक की प्रमुख सहायक नदी बागमती नदी है.
कमला-:
यह नदी नेपाल के महाभारत श्रेणी से निकलकर तराई क्षेत्र से प्रभावित होते हुए बिहार में जयनगर (मधुबनी जिला) में प्रवेश करती है.
मिथिला क्षेत्र में इसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है.
कोसी-:
कोसी नेपाल में गोसाई स्थान (सप्तकौशिकी) से निकलती है. कोसी नदी बाढ़ की विभीषिका के कारण “बिहार का शोक” कहलाती है.
यह नदी सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया आदि जिलों में प्रवाहित होती है.
कोसी नदी कुरसैला के पास गंगा में मिलने से पूर्व डेल्टा का निर्माण करती है.
महानंदा-:
यह उत्तरी बिहार के मैदान में प्रवाहित होने वाली सबसे पूर्व की नदी है. हिमालय से निकलकर बिहार के पूर्णिया और कटिहार जिले में प्रवाहित होते हुए गंगा में मिल जाती है.
सोन-:
हिरण्यवाह तथा सोनभद्र के नाम से प्रसिद्ध सोन नदी दक्षिण बिहार की सबसे प्रमुख नदी है.
इसका उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में अमरकंटक (मध्यप्रदेश) के निकट है.
यह नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा झारखण्ड में प्रवाहित होते हुए बिहार के रोहतास जिला में प्रवेश करती है.
यह दक्षिण बिहार में प्रवाहित होने वाली गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है.
सोन की कुल लंबाई 784 किलोमीटर है, जिसमें 202 किलोमीटर बिहार में प्रवाहित होती है.
फल्गू-:
यह नदी छोटानागपुर के पठार से कई धाराओं के रूप में निकलती है.
इसकी मुख्य धारा निरंजना कहलाती है.
निरंजना नदी के तट पर ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.
गया में इस नदी के तट पर पितृ पक्ष का मेला लगता है, जिसमें अपने पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है.
पुनपुन-:
पुनपुन नदी एक मौसमी नदी है
यह नदी बिहार के औरंगाबाद, अरवल तथा पटना जिला में गंगा के समानांतर प्रवाहित होते हुए फतुहा के पास गंगा नदी में मिल जाती है.
कर्मनासा-:
कर्मनासा का अर्थ होता है – कर्म का नाश करने वाला.
यह नदी विंध्याचल की पहाड़ियों में सारोदाग (कैमूर) से निकलकर चौसा के पास गंगा नदी में मिल जाती है.
हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नदी को अपवित्र या अशुभ माना जाता है.