मुंडा जनजाति-:
यह जनजाति झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा एवं बिहार राज्यों में निवास करती है।
मुंडा जनजाति अनेक त्यौहार मनाती है, जिसमें भागे, फागु, कर्मा, सरहुल और सोहरई, प्रमुख हैं ।
सरहुल त्यौहार मार्च अप्रैल माह के दौरान मनाया जाता है।
यह एक तरह के फूलों का त्यौहार होता है।
मुंडा जनजाति का धर्म-:
मुंडा जनजाति मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करती हैं।
‘सरना’ मुंडा जनजाति में एक मंदिर की जगह है।
‘सिंगबोंगा’ सर्वोच्च ईश्वर है।
भील जनजाति-:
भील शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के बिल्लुवर शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है “धनुषकारी”।
यह प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड प्रजाति के है।
यह जनजाति भारत के गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना सहित राजस्थान प्रांतों में अधिवासित है।
भीलों की संस्कृति में “धूमर नृत्य” का विशेष महत्व है।
संथाल जनजाति-:
संथाल जनजाति भारत की बड़ी और मुख्य जनजातियों में से एक है।
इनका निवास पूर्वी भारत के राज्यों मुख्य रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और असम राज्यों में है।
संथाल जनजाति भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है।
इनकी सघनता मुख्य रूप से झारखंड के दुमका, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा और संथाल परगना और पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम जिलों के पाकुड़ जिलों में है।
यह प्राचीन काल से एक बहादुर समुदाय रहा है।
संथाल जनजातियों का संबंध प्रोटो आस्ट्रेल्योड जाति से है।
संथाल जनजाति भारत और बांग्लादेश के मूल निवासी हैं।
थारू जनजाति-:
थारू जनजाति उत्तराखंड के नैनीताल जिले से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के तराई क्षेत्र एवं बिहार के तराई क्षेत्र में निवास करती है।
थारू जनजाति उत्तराखंड की सबसे बड़ी जनजाति है।
20 वीं सदी के अंत तक नेपाल में थारू जाति के लोगों की संख्या लगभग 7 लाख, 20 हज़ार और भारत में लगभग 10 हज़ार थी।
ये हिंदू धर्म मानते हैं।
थारू जनजाति “दीपावली को शोक पर्व” के रूप में मनाते हैं।
इनमें संयुक्त परिवार की प्रथा है।
थारू किरात वंश के माने जाते हैं।
थारू जाति के लोग सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़े हैं और ये भारोपीय भाषा परिवार के 'भारतीय-ईरानी समूह' के अंतर्गत आने वाली भारतीय-आर्य उपसमूहों की भाषा बोलते हैं।